आजकल के परिवेश में हमारी बदलती हुई जीवन शैली व काम करने के नए तरीके, ज्यादा देर तक खड़े रहना या ज्यादा देर तक बैठे रह कर काम करना और कई अन्य कारणों से कई प्रकार की शारीरिक समस्याएं हो जाती हैं | इन्ही समस्याओं में से एक शारीरिक समस्या है जिसका नाम है बवासीर | अंग्रेजी में इसे पाइल्स (Piles) कहा जाता है | आज के समय में लगभग 60% लोग इस समस्या से पीड़ित हैं फिर चाहे बच्चे हों या युवा हो या वृद्ध लगभग हर उम्र के व्यक्ति को इस समस्या से पीड़ित देखा जा सकता है | शरीर संबंधी ज्यादातर समस्याएं पेट से शुरू होती हैं | पेट की समस्याएं
ज्यादातर हमारे खाने की आदतों से सम्बंधित होती हैं | आम तोर पर बवासीर गर्म तासीर वाली चीजों को खाने या मिर्च मसाले से युक्त भोजन खाने का नतीजा होती है जिसकी वजह से समय दर समय गुदाद्वार में कुछ मस्से (Hemorrhoids) पनप जाते हैं जो कि देर सवेर रोगी की परेशानी का कारण बनते हैं | जिसमें रोगी को असहनीय पीड़ा व दर्द की शिकायत रहती है साथ ही इसमें व्यक्ति को मल त्याग के समय परेशानी, मल के साथ खून आने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है | आज के इस लेख में हम जानेंगे बवासीर के लक्ष्ण कारण इलाज के तरीके व रोकथाम के उपाय | Hemorrhoids Causes Symptoms and Treatment |
बवासीर क्या है |(What is Piles)
बवासीर एक गुदा गुना संबंधी रोग है जिसमें रोगी को गुदा द्वार में दर्द रहने लगता है | सामान्य तौर पर इस दर्द का पता व्यक्ति को तभी पता लगता है जब वह इसकी दूसरी या तीसरी स्टेज में होता है | शुरुआती लक्षण में बहुत कम बार ऐसा देखा गया है कि रोगी को इसका पता चल पाए कि उसे बवासीर की शिकायत है | इस रोग मे गुदा द्वार के अंदर की कोशिकाओं में सूजन रहने लगती है जिसकी वजह से गुदा में दर्द रहता है और रोगी को मल त्याग करते समय काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है | इसके अलावा यदि रोगी को आंतरिक बवासीर होती है तब गुदा द्वार के अंदर के उत्तक सूख जाते हैं और उखड़ जाते हैं वहीं दूसरी और बाहरी बवासीर में गुदाद्वार के अंदर जो मस्से पनप जाते हैं वे गुदा से बाहर भी आ जाते हैं जिनका मुंह बाहर होता है और उनकी जड़ गुदा के अंदर की ओर होती है जिसकी वजह से भी रोगी को असहनीय पीड़ा व परेशानी का सामना करना पड़ता है | इस रोग के होने के कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं जैसे की गर्भावस्था के समय, ज्यादा देर तक खड़े रहना या बैठे रहने वाले कामों को करने से, अत्यधिक शारीरिक मेहनत करने के से भी यह रोग हो सकता है |
बवासीर के क्या-क्या लक्षण होते हैं |(Symptoms of Piles)
आमतौर पर बवासीर की खास वजह लंबे समय से रहने वाली कब्ज को माना जाता है | यदि आप काफी लंबे समय से मल त्याग करने की समस्या से परेशान हैं या आपको कई बार शौच के लिए जाना पड़ता है या आपका पेट ठीक से साफ नहीं होता है तो यह समस्या बवासीर के शुरूआती लक्ष्ण सकते हैं | इस रोग के कुछ अन्य कारणों की जानकारी आगे दी गई है |
- गुदाद्वार में दर्द रहना (Pain at Rectum)
सामान्यता ऐसा देखा गया है कि गुदाद्वार में हल्का दर्द रहना शुरू हो जाता है | ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि गुदाद्वार के अंदर जो उत्तक होते हैं उनमें सूजन आ जाती हैं जिसकी वजह से दर्द रहता है और जो रोगी के लिए एक परेशानी का कारण बन जाता है | जिसके परिणाम सवरूप हर समय एक डिस्कंफर्ट की अनुभूति होती रहती है | आमतौर पर भारत में ऐसा देखा गया है कि हम इसे एक सामान्य लक्ष्ण मानकर नजरअंदाज करते रहते हैं जिसकी वजह से लंबे समय में यह रोग और ज्यादा बढ़ जाता है |
- गुदाद्वार पर खुजली रहना (Itchiness at Rectum)
कई बार गुदाद्वार के अंदर की मांसपेशियां एक साथ इकट्ठी हो जाती हैं जिसकी वजह से गुदा में खुजली रहने लगती है यह भी एक बवासीर का लक्षण है | ऐसा होने पर रोगी को डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए और उचित इलाज कराना चाहिए अन्यथा यह समस्या बढ़ सकती है |
- मल त्याग करते समय जलन वह दर्द (Pain During Stool)
गुदाद्वार के अंदर की मांसपेशियों में सूजन रहने की वजह से मल त्याग करते समय रोगी को जलन व दर्द की अनुभूति होती रहती है | जो की रोगी के लिए हर समय एक परेशानी का कारण बन जाती है | यह समस्या आंतरिक व बाहरी दोनों प्रकार की बवासीर में हो सकती है | ऐसा होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए |
- मल त्याग के समय खून आना (Blood During Stool)
बवासीर में रोगी के गुदाद्वार के अंदर मस्से हो जाते हैं जो कि मल त्याग के समय उठ जाते हैं जिनकी वजह से मल के बाद आमतौर पर खून आने की शिकायत होती है | इसे खूनी बवासीर भी कहा जाता है | कई बार यह समस्या डॉक्टर से सलाह लेने के बाद व दी गई दवाइयों को खाने के बाद ठीक हो जाती है लेकिन लंबे समय में यह समस्या बार-बार रोगी को होती रहती है |
- मल त्याग के समय म्यूकस आना (Release of Mucus during Stool)
बवासीर के शुरुआती कुछ लक्षणों में मल त्याग के समय रोगी को म्यूकस आता है | दरअसल गुदा में जब म्यूकस जमने लगता है तो उसकी वजह से पस बनने बनती हैं जो कि मल त्याग के समय बाहर आ आती है | इसके साथ ही रोगी को असहनीय दर्द भी होता है ऐसे में डॉक्टर से जांच जरूर करानी चाहिए |
बवासीर के कारण | (Causes of Piles)
आमतौर पर बवासीर मुख्यतः लंबे समय तक कब्ज रहने का नतीजा होती है | यानी कि आपको कई बार सोच जाने का मन होना साथ ही पेट ठीक से साफ ना होना इस बीमारी को पैदा करता है | वही आजकल का खानपान जैसे कि फास्ट फूड का अत्यधिक सेवन करना, मिर्च व मसालों से युक्त भोजन करना, ज्यादा जोर वाला काम करना या भोजन में फाइबर का कम होना इस समस्या के कुछ मुख्य कारक होते हैं | कई बार ऐसा भी देखा गया है कि बवासीर एक अनुवांशिक रोग के रूप में पूरे परिवार में पाया जाता है और यह पीढ़ी दर पीढ़ी चलता ही रहता है | इस समस्या का पता चलते ही इसका उपचार करवाना चाहिए |
बवासीर कितने प्रकार की होती है | (Types of Piles)
बवासीर मुख्यतः तीन प्रकार की होती है जिन का विस्तृत विवरण नीचे दिया गया है –
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खूनी बवासीर (Blood Hemorrhoids)
यह सबसे गंभीर प्रकार की बवासीर है जिसमें व्यक्ति को मल त्याग करते खून भी आता है जिससे रोगी कमजोर हो जाता है | इस स्थिति में मल त्याग के समय असहनीय पीड़ा का भी सामना करना पड़ता है ऐसा होने पर बिना देर करें डॉक्टर से इसका इलाज करवाना चाहिए हालांकि इसमें जो खून आता है वह गुदाद्वार के अंदर उपस्थित मस्सों के फूटने की वजह से ही आता है जोकि मल त्याग के समय निकलता है |
बाहरी बवासीर (Outer Hemorrhoids)
इस प्रकार की बवासीर में रोगी को बवासीर के मस्से मलद्वार के ठीक बाहर की और होते हैं | जो कि रोगी को छूने पर महसूस भी होते हैं जब भी रोगी मल त्याग के लिए जाता है उसे इन मस्सों में काफी असहनीय पीड़ा का सामना करना पड़ता है यह मस्से गांठ के रूप में देखे जा सकते हैं | शुरुआत के समय में इनमें कोई ज्यादा दर्द नहीं होता लेकिन ज्यादा देर तक इन पर ध्यान ना देने से यह एक बड़ी समस्या बन जाते हैं ऐसा होने पर जल्द से जल्द डॉक्टर की सलाह लेनी चहिये |
अंदरूनी बवासीर (Internal Hemorrhoids)
इस बवासीर में रोगी के गुदाद्वार के अंदर मस्से हो जाते हैं जो कि आमतौर पर दिखाई नहीं देते और न ही महसूस किए जाते हैं लेकिन इनकी वजह से गुदा में सूजन रहती है व दर्द रहता है | हालांकि यह कोई बहुत ही गंभीर समस्या रोगी के लिए नहीं है यदि रोगी सही समय पर अपनी जीवनशैली व अपने खानपान में उचित परिवर्तन लाकर या डॉक्टर से परामर्श लेने के बाद दवाई खाकर भी इसका इलाज कर सकता है जिससे ये मस्से धीरे-धीरे ठीक होने लगते हैं |
बवासीर की अवस्थाएं | (Piles Stages)
विशेषज्ञों के अनुसार बवासीर की मुख्यतः चार प्रकार की अवस्थाएं होती है | वहीं यदि पहली व दूसरी स्टेज में इस रोग के पता लगने पर इसका उपचार करा लिया जाए तो बाकी की अवस्थाओं में इस रोग को पहुँचने से रोका जा सकता है |
पहली अवस्था (First Stage)
यह बवासीर की पहली अवस्था होती है इसमें रोगी को बहुत खास लक्षण दिखाई नहीं देते कई बार तो रोगी को पता भी नहीं चलता कि उसे बवासीर है आमतौर पर इस में हल्का दर्द होता है व मल त्याग के समय ज्यादा जोर लगाने की वजह से कभी कभार खून का आना या फिर मलद्वार पर खुजली महसूस होना इस अवस्था के कुछ प्रमुख लक्ष्णों में से एक हैं |
दूसरी अवस्था (Second Stage)
इस अवस्था में रोगी को मल द्वार के पास मस्सों की शिकायत रहने लगती है | वह इन मस्सों को छूकर भी महसूस कर सकता है | रोगी के गुदा द्वार पर मस्से बाहर आने लगते हैं और मलद्वार पर दर्द की अनुभूति होती रहती है | मल त्याग के समय रोगी को पीड़ा रहती है | इस अवस्था में देर ना करते हुए रोगी को डॉक्टर से परामर्श जरूर लेना चाहिए |
तीसरी अवस्था (Third Stage)
आमतौर पर इस अवस्था में रोगी को गंभीर दर्द से गुजरना पड़ता है क्योंकि गुदाद्वार के अंदर भीतर नसों में सूजन रहने लगती है वही मल के साथ कभी-कभार खून आने की भी रोगी शिकायत करता है इस अवस्था में रोगी को बिल्कुल भी देर नहीं करनी चाहिए और डॉक्टर से परामर्श लेकर अपना इलाज कराना चाहिए |
चौथी अवस्था (Fourth Stage)
तीसरी तीसरी अवस्था तक आ जाने के बाद भी यदि रोगी अपना उचित इलाज नहीं करवाता है तो परिणाम स्वरूप गुदा में उसके मस्सों की संख्या भी बढ़ जाती है और दर्द रहने के साथ-साथ मल त्याग के समय खून की शिकायत तो रहती ही है अब इस अवस्था में बिल्कुल भी देरी ना करते हुए विशेषज्ञ या डॉक्टर से परामर्श लेकर अपना जल्द से जल्द इलाज की व्यवस्था करनी चाहिए अन्यथा कहने को तो यह एक आम बीमारी है लेकिन कोई भी बीमारी कब अपना एक विकराल रूप ले लेगी इसका पता भी नहीं चलता इसलिए इस अवस्था में आने पर रोगी को अपने इलाज को सबसे ज्यादा प्राथमिकता देनी चाहिए |
बवासीर का उपचार |(Piles Treatment)
सामान्यता बवासीर के लक्षणों को कुछ दवाइयों का सेवन करने से भी दूर किया जा सकता है जो कि एक विशेषज्ञ द्वारा प्रस्तावित होनी चाहिए इनके कुछ विकल्प नीचे दिए गए हैं –
- दर्द निवारक दवाओं का सेवन – प्राथमिक उपचार में डॉक्टर कुछ दर्द निवारक दवाओं की सलाह देते हैं जोकि बवासीर के दर्द को कुछ हद तक दूर करने में प्रभावी होती हैं |
- स्टूल सॉफ्टनर – डॉक्टर से परामर्श लेने के बाद डॉक्टर कुछ स्टूल सॉफ्टनर भी रोगी को प्रस्तावित करते हैं जो कि मल को मुलायम बना देते हैं जिससे कि मल त्याग के समय रोगी बिना किसी परेशानी के मल त्याग कर सकता है | इस तरह बवासीर के दर्द को कम करने में सहायता मिलती है |
- कोटिस्टेरॉइड्स – यह कुछ ऐसी क्रीम होती है जो कि डॉक्टर द्वारा प्रस्तावित की गई होती हैं जो कि गुदाद्वार में हो रही सूजन या खुजली को कम करने में सहायक होते हैं इनके इस्तेमाल से भी बवासीर के दर्द को कम करने में मदद मिलती है लेकिन यह बवासीर को कुछ हद तक कम कर सकते हैं लेकिन पूरी तरह से इसका इलाज नहीं कर सकते |
इनके अलावा आजकल के परिवेश में मेडिकल साइंस में कई प्रकार के इलाज उपलब्ध हैं जिनका विस्तृत विवरण नीचे दिया गया है | लेकिन डॉक्टर के पास जांच करवाने के बाद ही डॉक्टर रोगी की बवासीर की स्टेज इसकी आधार पर इनमें से कोई विकल्प अपनाते हैं और रोगी का इलाज करते हैं |
चिकित्स्य प्रक्रिया(Medical Procedure)
- बैंडिंग प्रक्रिया (Bending Method)
इस प्रक्रिया में डॉक्टर गुदा में होने वाले मस्सों को इलास्टिक बैंड से बांध देते हैं, जिससे मस्सों महोने वाली रक्त की आपूर्ति बंद हो जाती है और कुछ समय बाद मस्से सूखकर मल त्याग के साथ झड़ जाते हैं | इस प्रक्रिया में लगभग 3 से 5 दिन का समय रोगी को लग सकता है | साथ ही साथ रोगी को कुछ प्रस्तावित दवाओं का सेवन भी करना होता है | यह प्रक्रिया रोगी को बेहोश करने के बाद व एक कुशल सर्जन के द्वारा ही की जाती है |
- स्टेप्लर विधि (Stepler Procedure)
इस विधि में डॉक्टर बवासीर के मस्सों को गुदा के अंदर स्टेपल कर देते हैं जिससे मस्सों में खून की आपूर्ति रुक जाती है और ये मस्से 3 से 5 दिन के अंदर सूखकर झड़ जाते हैं इस विधि में दोबारा से भविष्य में मस्से होने की संभावना नहीं रहती यह ज्यादा प्रभाव कारी विधि है | यह प्रक्रिया भी रोगी को बेहोश करने के बाद व एक कुशल सर्जन के द्वारा ही की जाती है |
- लेजर प्रक्रिया (Laser Procedure)
बवासीर के इलाज के लिए यह प्रक्रिया सबसे ज्यादा प्रभाव कारी है यह सर्जरी रहित व दर्द रहित प्रक्रिया होती है इसमें रोगी आधे घंटे में अपने घर जा सकता है | इस प्रक्रिया में बवासीर का इलाज लेजर विधि द्वारा किया जाता है जिससे सर्जन बवासीर के मस्सों के ऊतकों को जलाने के लिए लेजर डिवाइस का इस्तेमाल करता है और यह विधि भी ज्यादा प्रभाव कारी है और इसमें भी भविष्य में दोबारा बवासीर के होने की कोई संभावना नहीं रहती | यह आज के समय की सबसे आधुनिक तकनीक है |
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स्केलर थेरेपी (Scaler Therapy)
इस विधि में बवासीर के मस्सों को सिकुड़ने के लिए उनमे दवा इंजेक्ट कर दी जाती है | यह विधि ग्रेड 2 और 3 में ज्यादा प्रभाव कारी होती है | यह विधि बैंडिंग प्रक्रिया का भी एक विकल्प होती है | इस प्रक्रिया में बवासीर के मस्से कुछ समय बाद सुखकर झड़ जाते हैं | लेकिन इसमें भविष्य में फिर से बवासीर के लक्षण सामने आने की संभावना रहती है |
बवासीर में सावधानियां (Precautions)
आजकल के समय में यह रोग एक सामान्य रोग की तरह हो गया है | लगभग 10 में से 6 लोगों को यह समस्या अपने जीवन में कभी ना कभी होती ही है | इस समस्या के निदान के लिए अपने जीवन शैली व आहार में कुछ परिवर्तन लाकर भी इसके लक्षणों को जीवन में आने से बचाया जा सकता है जैसे कि –
- व्यायाम व कसरत को दैनिक जीवन में शामिल करना – हर दिन की दिनचर्या में व्यायाम व कसरत करने से आप शारीरिक रूप से सजग रहेंगे | जिसके परिणाम स्वरूप पाचन तंत्र सही से काम करता है व भोजन को पचाने की प्रक्रिया ठीक प्रकार से करता है | जिससे मल का त्याग ठीक प्रकार से होता रहता है और इस रोग का खतरा भी कम हो जाता है | इसलिए यह बहुत ही आवश्यक है कि आप अपनी दिनचर्या में किसी भी प्रकार की व्यायाम जरूर करें फिर चाहे वह साइकिलिंग, रनिंग, योगा व सामान्य वर्कआउट भी हो सकता है | कोशिश करें कि इनमें से किसी को भी आप अपने दैनिक जीवन का हिस्सा जरूर बनाएं |
- अचानक भारी वजन ना उठाएं – कभी कभार अचानक से किसी भारी वजन को उठाने से बचना चाहिए क्योंकि यह भी बवासीर के रोग को बढ़ा सकता है |
- मल त्याग के समय जोर ना लगाएं – शौचालय जाते समय कभी भी मल त्याग के समय ज्यादा जोर नहीं लगाना चाहिए | मल इसकी सामान्य अवस्था में ही आने देना चाहिए और उसे कभी भी ज्यादा दबाव के साथ नहीं त्याग करना चाहिए क्योंकि यह भी इस रोग को बढ़ाने में सहायक हो सकता है |
- स्वस्थ भोजन करना – इस रोग के निदान में कुछ सामान्य बातों का होना भी आवश्यक है जैसे कि, ज्यादा से ज्यादा मात्रा में हल्का गुनगुना पानी का सेवन करना ज्यादा तले और मसालों से युक्त भोजन से परहेज करना, अधिक फाइबर युक्त भोजन करना काफी उपयोगी साबित होता है ऐसा करने से मॉल इसकी मुलायम अवस्था में रहता है जिसकी वजह से इस रोग को काफी लंबे समय तक होने से बचाया जा सकता है |
- शरीर का वजन ना बढ़ने देना – इस रोग से रोकथाम के लिए यह भी आवश्यक है कि आप अपने शरीर का वजन ज्यादा ना बढ़ने दें अपने खान-पान में संयम बरतें किसी भी स्थिति में अधिक खाने से बचें इससे आपका शरीर मोटा नहीं होगा और बवासीर के रोग के लक्ष्ण शरीर में नहीं पैदा होंगे |
बवासीर का घरेलु उपचार |(Piles Home Remedies)
बवासीर के शुरुआती लक्ष्णों का आभास होने पर कुछ घरेलू उपायों के द्वारा भी इस रोग को बढ़ने से बचाया जा सकता है | लेकिन इसके लिए यह जरूरी है कि आपको इसके लक्षणों का पता लग चुका हो और आपको यह एहसास हो कि आपको बवासीर है तो यहां नीचे कुछ घरेलू उपाय भी दिए गए हैं | जिनसे इस रोग के लक्षणों को कम किया जा सकता है –
- मस्सों का पता लग जाने पर गाय का शुद्ध देसी घी व शहद को बराबर मात्रा में मिलाकर उन पर लगाने से इसके दर्द को कम किया जा सकता है |
- कड़वी तोरी का रस निकालकर उसमें हल्दी मिलाकर एक पेस्ट तैयार कर लें और इस पेस्ट को हर दिन सुबह व शाम मस्सों पर लगाएं जो कि धीरे-धीरे मस्सों को खत्म कर देगा |
- अपनी दैनिक दिनचर्या में पपीते का सेवन शामिल करें क्योंकि यह मल को मुलायम बनाने में सहायता करता है जिससे मल त्याग के समय ज्यादा परेशानी नहीं होगी और बवासीर से भी बचाव हो सकेगा
- रात में अंजीर को पानी में भिगोकर उस पानी का सेवन करने से इस रोग में बचाव मिलता है |
- नींबू अदरक व शहद का सेवन करने से भी बवासीर के रोग में बचाव करने में सहायता मिलती है
- अच्छे पाचन तंत्र के लिए ज्यादा से ज्यादा फाइबर युक्त भोजन का सेवन करना चाहिए जोकि बवासीर के रोग से छुटकारा दिलाने में काफी मददगार साबित होता है | आहार में साबुत अनाज, ताजे फल व हरी सब्जियां को शामिल करना चाहिए |
- इस रोग में छाछ का सेवन सबसे ज्यादा मददगार साबित होता है, 2 लीटर छाछ में 50 ग्राम जीरा पाउडर मिलाकर पीने से आपका पाचन तंत्र सही काम करता है जिससे मल त्याग के समय किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होती और परिणाम स्वरूप बवासीर के लक्षणों से भी बचा जा सकता है |
- नीम की निमोली भी इस रोग में काफी ज्यादा कारगर साबित होती है | इसमें मस्सों को सुखाकर इनके पाउडर को रात में रखे पानी के साथ मिलाकर पीने से इस रोग में काफी फायदा मिलता है साथ ही नीम का तेल मस्सों पर लगाने से भी काफी सहायता मिलती है |
- एलोवेरा कई प्रकार के औषधीय गुणों से भरपूर होती है एलोवेरा का सेवन पेट से जुड़ी हुई कई समस्याओं में कारगर साबित होता है | इसके सेवन से आंतरिक व बाहरी दोनों प्रकार की बवासीर में ठीक करने में काफी ज्यादा प्रभाव कारी है साथ ही गुदा द्वार के बाहर मस्सों पर एलोवेरा जेल लगाने से भी जलन व दर्द में सहायता मिलती है |
- पानी का भरपूर मात्रा में सेवन करना चाहिए क्योंकि पानी का सेवन मल त्याग को बनाता है और पेट से जुड़ी हुई कई समस्याओं को दूर करने में सहायता करता है नियमित रूप से और लगभग दिन में 8 से 10 गिलास पानी का सेवन करने से बवासीर के रोग से काफी हद तक बचा जा सकता है |
सामान्य प्रश्न (FAQs)
- क्या बवासीर एक जानलेवा बीमारी है
वैसे तो यह कोई जानलेवा बीमारी नहीं है लेकिन कोई भी बीमारी इलाज ना कराने पर केवल बढ़ती ही है इसीलिए इसके इलाज में देरी करने से यह भी एक भयंकर रूप ले सकती है |
- बवासीर के इलाज के लिए विशेषज्ञों की क्या राय है
विशेषज्ञों की इसके बारे में यही राय रहती है कि जब भी रोगी को किसी प्रकार का दर्द या गुदा में कोई डिस्कंफर्ट फील हो वह जल्द से जल्द उनकी सलाह लें और उचित इलाज करवाएं जिससे कि रोगी समय रहते अपनी रोकथाम व इस बीमारी से बचाव कर सकता है |
- इसके इलाज के बाद क्या क्या सावधानियां बरतनी चाहिए
वैसे तो रोगी को इसके इलाज के बाद अपने दैनिक जीवन के सभी कार्य कर सकता है लेकिन उसे अपने खान-पान में विशेष सावधानियों को बरतने की जरूरत होती है जैसे कि किसी भी प्रकार का तला भुना या मसाले युक्त भोजन नहीं करना चाहिए और खास करके सब्जियों में लाल मिर्च व अत्यधिक नमक के सेवन को पूरी तरह से कम करने की कोशिश करनी चाहिए |
- कितनी उम्र के व्यक्ति इस रोग से पीड़ित हैं |
आजकल के परिवेश में यह बीमारी लगभग हर उम्र के व्यक्ति में देखने में पाई जा रही है फिर चाहे वह बच्चे हों, युवा हों या वृद्ध हो लगभग सभी उम्र के लोगों में यह बीमारी देखने में आ रही है |
- क्या बवासीर बच्चों को होती है |
जी हां कुछ बच्चे ऐसे भी हैं जिनको बचपन से ही बवासीर की शिकायत हो जाती है उन्हें भी मल त्याग के समय खून आने की शिकायत व मस्सों की तकलीफ हो जाती है | लेकिन समय पर इसका आज के समय में उपलब्ध है जो कि समय रहत करवा लेना चाहिए |
- बवासीर के इलाज में कितना खर्च आता है |
आमतौर पर इस रोग का इलाज 10,000 से लेकर 50000 तक भारत में किया जाता है | यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि रोगी बवासीर की किस अवस्था में है | केवल रोगी की अवस्था की पड़ताल करने के बाद ही डॉक्टर द्वारा उचित इलाज का परामर्श दिया जाता है | अलग-अलग अवस्था के लिए अलग-अलग इलाज का प्रबंध है |
सार (Conclusion)
आज के इस लेख में हमने बवासीर के लक्ष्ण, कारण इलाज के तरीके व रोकथाम के उपायों के बारे में चर्चा की | यदि आपको इस प्रकार की कोई समस्या है तो आप समय रहते इसका इलाज जरूर करवाएं नहीं तो यह बीमारी इलाज में देरी करने से और विकराल रूप ले सकती है | आपके शरीर से बढ़कर कोई भी चीज आपके जीवन में नहीं है | तो सबसे पहले आपका स्वस्थ शरीर व निरोगी काया होना चाहिए | इसलिए जितनी जल्दी हो सके आप अपना इलाज जरूर करवाएं और एक स्वस्थ व सुंदर जीवन व्यतीत करें | यही मेरी कामना है यदि आपको इस लेख से कुछ भी अच्छी जानकारी मिली हो तो आप इस लेख को अपने दोस्तों व संबंधियों में भी शेयर कर सकते हैं | व इस लेख में एक कमेंट के माध्यम से मुझे इसमें त्रुटियों को दूर करने के बारे में मेरी सहायता कर सकते हैं | इस लेख को यहां तक पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार |
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